सूरत : तापी नदी और नहरों या तालाबों में श्रीजी की मूर्तियों के विसर्जन पर रोक, 20 कृत्रिम तालाबों का निर्माण शुरू

“सूरत: गुजरत के सूरत शहर से गुजरने वाली तापी नदी, झील, या नहर में गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन पर एनजीटी के आदेश के बाद नगर निगम की जिम्मेदारी बढ़ गई है। सूरत में हर साल की तरह इस साल भी हजारों की संख्या में गणेश प्रतिमाएं स्थापित होने के कारण नगर निगम ने अलग-अलग इलाकों में 20 कृत्रिम तालाबों का निर्माण शुरू किया है। जबकि बड़ी प्रतिमा को समुद्र में विसर्जित करने की योजना है।
एनजीटी के आदेश के बाद तापी नदी और नहर या झील में श्रीजी की प्रतिमा के विसर्जन पर रोक लगा दी गई है, इसलिए हर साल की तरह सूरत नगर निगम करीब 20 कृत्रिम तालाब बनाएगी और उनमें श्रीजी की प्रतिमा का विसर्जन करेगी। सूरत शहर में ही श्रीजी की लगभग 50 से 60 हजार मूर्तियां स्थापित की गई हैं और इन सभी मूर्तियों में से 5 फीट या उससे छोटी मूर्तियों को सूरत नगर निगम द्वारा बनाई गई कृत्रिम झील में विसर्जित किया जाएगा।

सूरत में गणेश उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। सूरत में गौरी गणेश और दस दिन की गणेश की स्थापना की जाती है। इससे पहले भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन तापी नदी में किया गया। लेकिन एनजीटी के फैसले के बाद प्रतिमा को नगर पालिका द्वारा बनाई गई कृत्रिम झील में विसर्जित किया जा रहा है। हालांकि, पिछले कुछ समय से गणेश जी की प्रतिमा को घर पर ही विसर्जित करने का चलन बढ़ गया है। इससे नगर निगम की कृत्रिम झील पर भार कम हो गया है।

नगर निगम ने प्राकृतिक जल निकायों में गणेश विसर्जन की प्रक्रिया को रोकने के लिए शहर के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 20 कृत्रिम झीलें बनाने की योजना बनाई है। श्रीजी की पांच फीट या उससे छोटी मूर्ति को इस झील में ही विसर्जित किया जाएगा, जबकि नगर निगम प्रशासन बड़ी मूर्ति को समुद्र में विसर्जित करने की योजना बना रहा है।”

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